बुधवार, 15 अक्तूबर 2008

आतंकवाद बनाम मुस्लिम

आज जो भी आतंकी घटनाएं होती है॥ जैसे-बम धमाका,धमकी भरे ईमेल वगैरह-वगैरह ( कर्नाटक और उड़ीसा में ईसाईयों के खिलाफ छोड़ कर) उसमें मुस्लिमों का हाथ माना जा रहा है॥क्यों कि ये घटनाएं छुपा कर हो रही है। यदि यही घटनाएं ईसाईयों के खिलाफ हो रहे अत्याचार जैसे खुल्लम खुल्ला हो । तो इसे आतंक नहीं माना जाएगा( जैसा कि कुछ संगठनों का मानना है) ये मजाक के शिवाय कुछ नहीं है॥ लेकिन ऐसा भी नहीं है कि जो धमाके हो रहे है उनमें मुस्लिमों का हाथ नहीं है। लेकिन जिस तरह से सभी मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है। वो गलत है। मुस्लिम धमाकों के लिए जिम्मेदार हैं। लेकिन सभी मुस्लिम नहीं। इन सब घटनाओं के बाद मुस्लिमों पर संदेश का जिम्मेदार केवल संदेश करने वाले ही नहीं है। बल्कि खुद मुस्लिम भी हैं। मुस्लिमों को धमाकों के खिलाफ आगे आना चाहिए। लेकिन मुस्लिमों के मौल्लवी और मुल्ला केवल धमाके के बाद की परिस्थितियों पर विचार करते है या कहे आरोप -प्रत्यारोप का दौर चलता है। इन लोगों के अतिरिक्त सरकार को भी इसके खिलाफ कड़े कदम उठाने चाहिए। सरकार और खुफिया एजेंसियों को मुस्लिम समुदाय का विश्वास जितना होगा॥ ताकि उनमें विस्वास पैदा कर सके कि देश का कानून पर मुस्लिम विश्वास कर सकते हैं।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

kya kah rhe ho pta hai.apkilino tkraw hai...is post ko fir se pdkr likhiye