shashi-baat
शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2008
क्यो लगता है की तन्हा हो गए है
न जाने कौन सा डर सताने लगाने लगा है,
तन्हाईयों का औंधेरा पास आने लगा है,
खो ना जाऊ कही ,भटक न जाए ये कदम ,
आपके बिना ही बडे तन्हा है हम
आओ एक बार लग जाए गले
भले ही अब कदम साथ न चले
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